प्रश्न - जाति क्या है?
उत्तर -
- किसी भी चीज़ के प्रकार या वंश-किस्म का बोध कराने वाला शब्द अचेतन वस्तु, पेड़-पौधों ,जीव-जंतु, मनुष्य
- भारतीय भाषाओं में जाति का प्रयोग जाति संस्था के संदर्भ में ही किया जाता है।
- जाति शब्द की उत्पत्ति पुर्तगाली शब्द कास्टा (casta) से हुई है जिसका अर्थ होता है विशुद्ध नस्ल
- इससे अंग्रेजी का caste शब्द बना है
प्रश्न - भारतीय समाज में जाति क्या है ?
उत्तर -
- जाति एक प्राचीन संस्था है
- हज़ारों वर्षों से भारतीय इतिहास एवं संस्कृति का एक हिस्सा है।
- 'जाति' केवल हमारे अतीत का नहीं बल्कि आज का भी एक अभिन्न अंग है
- हिंदू समाज की संस्थात्मक विशेषता है
- इसका प्रचलन अन्य धार्मिक समुदायों में भी है, मुसलमानों, ईसाइयों ,सिखों
प्रश्न - भारत में जातिगत व्यवस्था के स्वरूप को समझाओ ?
उत्तर -
भारत में जातिगत व्यवस्था
1. वर्ण व्यवस्था
- प्राचीन भारतीय समाज को वर्ण व्यवस्था के आधार पर विभाजित किया गया था
2. जाति व्यवस्था
- वर्ण व्यवस्था का बिगड़ा हुआ रूप जाति व्यवस्था है
वर्ण व्यवस्था 3 हज़ार साल पुराणी व्यवस्था चार श्रेणियों के विभाजन को वर्ण कहा जाता है।
1. ब्राह्मण
2. क्षत्रिय
3. वैश्य
3. शुद्र
प्रश्न - प्रबल जाति क्या होती है?
उत्तर -
- ऐसी जातियों जिनकी जनसंख्या काफ़ी बड़ी होती थी और जिन्हें स्वतंत्रता के बाद किए गए भूमि सुधारों द्वारा भूमि के अधिकार दिए गए थे।
- भूमि-सुधारों ने पहले के दावेदारों से अधिकार छीन लिए थे।
- अब ये भूमि-अधिकार अगले स्तर के दावेदारों को मिल गए थे
- जब उन्हें भूमि-अधिकार मिल गए तो फिर उन्होंने पर्याप्त आर्थिक शक्ति प्राप्त कर ली।
- उनकी बड़ी संख्या ने भी चुनावी लोकतंत्र के इस युग में उन्हें राजनीतिक शक्ति प्रदान की।
- यह मध्यवर्ती जातियाँ देहाती इलाकों में प्रबल जातियाँ बन गईं और क्षेत्रीय राजनीति तथा खेतिहर अर्थव्यवस्था में भूमिका अदा करने लगीं।
प्रश्न - वर्ण व जाति में क्या अन्तर है?
उत्तर -
वर्ण व्यवस्था
- प्रारंभिक वेदिक काल में
- जन्म से निर्धारित नहीं होते थे
- विस्तृत या बहुत कठोर नहीं
- स्थान परिवर्तन सामान्य
जाति व्यवस्था
- उत्तर-वैदिक काल में यह व्यवस्था आई
- जन्म से निर्धारित होती है।
- माता-पिता की जाति में ही 'जन्म होता है।
- चुनाव का विषय नहीं होती
- बदल नहीं सकते
- विवाह समूह के सदस्यों में ही हो सकते हैं
प्रश्न - उपनिवेशवाद ने भारत में जाति व्यवस्था को किस प्रकार मजबूत किया?
उत्तर -
- जाति के वर्तमान स्वरूप को औपनिवेशिक काल और स्वतंत्र भारत में तीव्र गति से हुए परिवर्तनों द्वारा आकार प्रदान किया गया।
- जाति का वर्तमान स्वरूप प्राचीन भारतीय परंपरा की अपेक्षा उपनिवेशवाद की ही अधिक देन है।
- ब्रिटिश प्रशासकों ने देश पर कुशलतापूर्वक शासन करने के उद्देश्य से जाति व्यवस्थाओं की जटिलताओं को समझने के प्रयत्न शुरू किए।
- ब्रिटिशों को अच्छे से शासन करना था इसलिए भारत में सामाजिक संरचनाओं को समझना जरूरी था
- इन लोगो ने भारत में जन गणना की शुरुआत की जनगणना का पहला प्रयास सर्वप्रथम 1860 के दशक में नियमित जनगणना 1881 से
- 1901 में हरबर्ट रिजले के निर्देशन में जाति के सामाजिक अधिक्रम की जानकारी इकट्ठी करने का प्रयत्न किया गया किस क्षेत्र में किस जाति को अन्य जातियों की तुलना में सामाजिक दृष्टि से कितना ऊँचा या नीचा स्थान प्राप्त है श्रेणी क्रम में प्रत्येक जाति की स्थिति निर्धारित कर दी गई।
प्रश्न -एकल व संयुक्त परिवार में अन्तर बताइये।।
प्रश्न - नातेदारी की परिभाषा लिखें तथा उसके प्रकारों की व्याख्या कीजिए ?
उत्तर -
- समाज के विभिन्न सदस्यों के बीच आपसी संबंधों को दर्शाती है।
- विवाह मूलक नातेदारी देवर भाभी, साला- साली, सास-ससुर
- रक्तमूलक नातेदारी माता - पिता, भाई - बहिन
प्रश्न - जाति व्यवस्था किन सिद्धांत पर कार्य करती थी ?
उत्तर -
1. भिन्नता और अलगाव (SEPRATION)
- हर जाति दूसरी जाति से अलग थी और इसलिए वह अन्य जाति से कठोरता से पृथक होती है।
- जाति के नियमों को जातियों को मिश्रित होने से बचाने के लिए बनाये गये है।
- जैसे शादी, खान-पान एवं सामाजिक अंतःक्रिया व्यवसाय आदि ।
2. संपूर्णता और अधिक्रम (HEIRARCHY )
- हर जाति दूसरी जाति से अलग थी और इसलिए वह अन्य जाति से कठोरता से पृथक होती है।
- जाति के नियमों को जातियों को मिश्रित होने से बचाने के लिए बनाये गये है।
- जैसे शादी, खान-पान एवं सामाजिक अंतःक्रिया व्यवसाय आदि ।
प्रश्न - जाति की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर -
- उत्तर-वैदिक काल में यह व्यवस्था आई जन्म से निर्धारित होती है।माता-पिता की जाति में ही 'जन्म होता है चुनाव का विषय नहीं होती बदल नहीं सकते विवाह समूह के सदस्यों में ही हो सकता हैं
- खाने और खाना बाँटने के बारे में नियम भी शामिल होते हैं।
- जातियों की अधिक्रमित स्थिति खंडात्मक संगठन
- एक जाति में जन्म लेने वाला व्यक्ति उस जाति से जुड़े व्यवसाय को ही अपना सकता था
- जाति एक बहुत असमान संस्था थी।
- जाति जन्म द्वारा कठोरता से निर्धारित हो गई उसके बाद किसी व्यक्ति के लिए जीवन स्थिति बदलना असंभव था। चाहे उच्च जाति के लोग उच्च स्तर के लायक हो या न हों
प्रश्न - राष्ट्रीय विकास बनाम जनजातीय विकास की विवेचना करें।
उत्तर -
- ग्रामीण परिवेश जंगल जनजातीय लोगो का निवास स्थान था
- इनके निवास स्थान में देश का महत्वपूर्ण खनिज भंडारण है
- विकास के नाम पर बड़े बड़े बांध बनाये गये कारखाने स्थापित किए गये खानों की खुदाई की जाने लगी
- जनजातीय लोगों को शेष भारतीय समाज के विकास के लिए अनुपात से बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ी
- जनजातियों की हानि की कीमत पर मुख्यधारा के लोग लाभान्वित हुए।
- जनजातीय लोगों से उनकी जमीनें छिनने की प्रक्रिया शुरू हो गई।इससे संघर्ष शुरू हो गया नये जनजातीय राज्यों का उद्भव होना शुरू हो गया
- झारखण्ड और छत्तीसगढ़ को अलग राज्य का दर्जा मिला
- सरकार ने कठोर कदम उठाये जिससे विद्रोह भड़का और पूर्वोत्तर राज्यों की अर्थव्यवस्था संस्कृति और समाज को हानि पंहुची
प्रश्न - जाति व जनजाति में क्या अन्तर है?
उत्तर -
1. जाति
- जाति एक सामाजिक व्यवस्था है ।
- यह व्यवस्था समाज को विभिन्न समूहों में विभाजित करती है, जिन्हें 'वर्ण' और 'जाति' के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
- मुख्य रूप से हिंदू समाज में प्रचलित है
- जन्म से निर्धारित किया जाता है।
- समूहों के बीच सामाजिक और आर्थिक कार्य विभाजन पर आधारित है।
2. जनजाति
- विशेष भौगोलिक क्षेत्रों में निवास करती है
- जीवन पारंपरिक रीति-रिवाजों और संस्कृति पर आधारित होता है।
- जीवन प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर होता है।
- अपने पारंपरिक धर्म, भाषा, और सांस्कृतिक प्रथाओं के अनुसार संगठित होती हैं
- सामाजिक और आर्थिक भिन्नताएं कम होती हैं
- पारंपरिक जीवनशैली से जुड़े रहते हैं।
प्रश्न - जनजातीय पहचान को प्रभावित करने वाले कारकों को लिखिए।
उत्तर -
1. भौगोलिक स्थिति
- पहाड़ों, जंगलों, या दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाली जनजातियों की पहचान उनकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर अलग-अलग होती है।
2. भाषा
- जनजातीय समूहों की अपनी विशिष्ट भाषाएं होती हैं, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं।
- भाषा न केवल संवाद का माध्यम होती है बल्कि जनजातियों के साहित्य, गीतों, और कथाओं में भी प्रतिबिंबित होती है।
3. सांस्कृतिक परंपराएं और रीति-रिवाज
- जनजातियों की सांस्कृतिक परंपराएं, जैसे कि त्योहार, नृत्य, संगीत, और धार्मिक अनुष्ठान, उनकी पहचान का मूल तत्व होते हैं।
4. धार्मिक आस्था
- जनजातियों के अपने पारंपरिक धर्म और धार्मिक प्रथाएं होती हैं, जो अक्सर प्रकृति-पूजा, आत्मा-पूजा, और पूर्वजों की पूजा पर आधारित होती हैं।
5. आर्थिक गतिविधियाँ
- उनकी आर्थिक गतिविधियाँ, जैसे कि शिकार, कृषि, मछली पकड़ना, और हस्तशिल्प, उनकी जीवनशैली और पहचान को प्रभावित करती हैं।
6. प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता
- जनजातियों की जीवनशैली और अस्तित्व प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कि जंगल, जल, और भूमि, पर निर्भर करती है।
- संसाधनों की उपलब्धता में बदलाव उनकी पहचान और जीवनशैली पर सीधा प्रभाव डालता है।
प्रश्न - संस्कृतिकरण किसे कहते हैं?
उत्तर -
- संस्कृतिकरण एक सामाजिक प्रक्रिया है, जिसमें निचली या पिछड़ी जातियाँ या समूह समाज के उच्च जातियों या वर्गों की संस्कृति, परंपराओं, और सामाजिक रीति-रिवाजों को अपनाने की कोशिश करते हैं।
- यह प्रक्रिया विशेष रूप से भारत के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहाँ जाति व्यवस्था और सामाजिक विभाजन गहरे रूप से निहित हैं।
प्रश्न - भारत में जनजातियों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है?
उत्तर -
जनजातियों का वर्गीकरण
1. स्थाई विशेषक
- भाषा के आधार पर
- आकार के आधार पर
- क्षेत्र के आधार पर
- शारीरिक प्रजातीय के आधार पर
भाषा के आधार पर
- भारतीय-आर्य परिवार
- द्रविड़ परिवार
- आस्ट्रिक परिवार
- तिब्बती-बर्मी, परिवार
आकार के आधार पर
- बड़ी जनसंख्या वाली जनजाति
- गोड, भील, संथाल, ओराँव, मीना, बोडो और मुंडा
- छोटी जनसंख्या वाली जनजाति
- अंडमान द्वीपवासी जिनकी संख्या 100 से भी कम है
क्षेत्र के आधार पर
- मध्य भारत में रहने वाली
- 85% जनजातीय जनसंख्या मध्य भारत में निवास करती है
- उत्तर पूर्वी राज्यों में रहने वाली
- 15% जनजातीय जनसंख्या उत्तरपूर्वी राज्यों में निवास करती है
2. अर्जित विशेषक
1. आजीविका के साधन
- मछुआरे
- खाद्य संग्राहक
- आखेटक (शिकारी) झूमखेती करने वाले
- कृषक और बागान औद्योगिक कामगारों
2. हिंदू समाज में उनके समावेश
- हिंदू समाज के प्रति रुख भी एक बड़ी कसौटी है क्योंकि जनजातियों की अभिवृत्तियों के बीच काफी अंतर होता है- कुछ जनजातियों का हिंदुत्व की ओर सकारात्मक झुकाव होता है जब कि कुछ जनजातियाँ उसका प्रतिरोध या विरोध करती हैं।
प्रश्न - परिवार के विभिन्न प्रकार बताइये।
उत्तर -
- हममें से हर कोई एक परिवार में उत्पन्न हुआ है हमें अपने परिवार में सदस्यों से लगाव महसूस होता है
- विभाजन का आधार
1. संरचना के आधार पर
- मूल परिवार
- संयुक्त परिवार
2. निवास के आधार पर
- पितृस्थानीय परिवार
- मातृस्थानीय परिवार
3. वंश के आधार पर
- पितृवंशीय परिवार
- मातृवंशीय परिवार
4. सत्ता के आधार पर
- पितृसत्तात्मक परिवार
- मातृसत्तात्मक परिवार